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Showing posts from April 18, 2021

*!! कर्म भोग !!*

*!! कर्म भोग !!*          *एक गाँव में एक किसान रहता था उसके परिवार में उसकी पत्नी और एक लड़का था। कुछ सालों के बाद पत्नी की मृत्यु हो गई उस समय लड़के की उम्र दस साल थी। किसान ने दूसरी शादी कर ली। उस दूसरी पत्नी से भी किसान को एक पुत्र प्राप्त हुआ। किसान की दूसरी पत्नी की भी कुछ समय बाद मृत्यु हो गई। किसान का बड़ा बेटा जो पहली पत्नी से प्राप्त हुआ था जब शादी के योग्य हुआ तब किसान ने बड़े बेटे की शादी कर दी। फिर किसान की भी कुछ समय बाद मृत्यु हो गई। किसान का छोटा बेटा जो दूसरी पत्नी से प्राप्त हुआ था और पहली पत्नी से प्राप्त बड़ा बेटा दोनों साथ साथ रहते थे। कुछ समय बाद किसान के छोटे लड़के की तबियत खराब रहने लगी। बड़े भाई ने कुछ आस पास के वैद्यों से इलाज करवाया पर कोई राहत ना मिली। छोटे भाई की दिन ब दिन तबियत बिगड़ती जा रही थी और बहुत खर्च भी हो रहा था। एक दिन बड़े भाई ने अपनी पत्नी से सलाह की कि यदि ये छोटा भाई मर जाए तो हमें इसके इलाज के लिए पैसा खर्च ना करना पड़ेगा। और जायदाद में आधा हिस्सा भी नहीं देना पड़ेगा। तब उसकी पत्नी ने कहा कि क्यों न किसी वैद्य से बात करके इसे जहर दे दिया जाए किसी को प

दान की महिमा*

0️⃣4️⃣❗0️⃣2️⃣❗2️⃣0️⃣2️⃣1️⃣ *💫दान की महिमा* *बहुत समय पहले एक राजा था। वह अपनी न्यायप्रियता के कारण प्रजा में बहुत लोकप्रिय था। एक बार वह अपने दरबार में बैठा ही था कि अचानक उसके दिमाग में एक सवाल उभरा। सवाल था कि मनुष्य का मरने के बाद क्या होता होगा ? इस अज्ञात सवाल के उत्तर को पाने के लिए उस राजा ने अपने दरबार में सभी मंत्रियों आदि से मशवरा किया। सभी लोग राजा की इस जिज्ञासा भरी समस्या से चिंतित हो उठे। काफी देर सोचने विचारने के बाद राजा ने यह निर्णय लिया कि मेरे सारे राज्य में यह ढिंढोरा पिटवा दिया जाए कि जो आदमी कब्र में मुरदे के समान लेटकर रात भर कब्र में मरने के बाद होने वाली सभी क्रियाओं का हवाला देगा, उसे पांच सौ सोने की मोहरें भेंट दी जाएंगी।*               *💫राजा के आदेशानुसार सारे राज्य में उक्त ढिंढोरा पिटवा दिया गया। अब समस्या आई कि अच्छा भला जीवित कौन व्यक्ति मरने को तैयार हो ? आखिरकार सारे राज्य में एक ऐसा व्यक्ति इस काम को करने के लिए तैयार हो गया, जो इतना कंजूस था कि वह सुख से खाता पीता, सोता नहीं था। उसको राजा के पास पेश किया गया। राजा के आदेशानुसार उसके लिए बढ़िया फूलो

मिट्टी

🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹 *ये मिट्टी किसी को नही छोडेगी:-* एक राजा बहुत ही महत्त्वाकांक्षी था और उसे महल बनाने की बड़ी महत्त्वाकांक्षा रहती थी उसने अनेक महलों का निर्माण करवाया! रानी उनकी इस इच्छा से बड़ी व्यथित रहती थी की पता नही क्या करेंगे इतने महल बनवाकर! एक दिन राजा नदी के उस पार एक महात्मा जी के आश्रम के वहाँ से गुजर रहे थे तो वहाँ एक संत की समाधी थी और सैनिकों से राजा को सूचना मिली की संत के पास कोई अनमोल खजाना था और उसकी सूचना उन्होंने किसी को न दी पर अंतिम समय मे उसकी जानकारी एक पत्थर पर खुदवाकर अपने साथ ज़मीन मे गढ़वा दिया और कहा की जिसे भी वो खजाना चाहिये उसे अपने स्वयं के हाथों से अकेले ही इस समाधी से चोरासी हाथ नीचे सूचना पड़ी है निकाल ले और अनमोल सूचना प्राप्त कर लेंवे और ध्यान रखे उसे बिना कुछ खाये पिये खोदना है और बिना किसी की सहायता के खोदना है अन्यथा सारी मेहनत व्यर्थ चली जायेगी ! राजा अगले दिन अकेले ही आया और अपने हाथों से खोदने लगा और बड़ी मेहनत के बाद उसे वो शिलालेख मिला और उन शब्दों को जब राजा ने पढ़ा तो उसके होश उड़ गये और सारी अकल ठिकाने आ गई! उस पर लिखा था हॆ राहगीर

*सोनार की तकदीर*

*सोनार की तकदीर*       _*एक बार किसी देश का राजा अपनी प्रजा का हाल-चाल पूछने के लिए गाँवों में घूम रहा था। घूमते-घूमते उसके कुर्ते का सोने के बटन की झालन टूट गई, उसने अपने मंत्री से पूछा, कि इस गांव में कौन सा सोनार है, जो मेरे कुर्ते में नया बटन बना सके?*       _*उस गांव में सिर्फ एक ही सोनार था, जो हर तरह के गहने बनाता था, उसको राजा के सामने ले जाया गया।*      _*राजा ने कहा, कि तुम मेरे कुर्ते का बटन बना सकते हो ?*      _*सोनार ने कहा, यह कोई मुश्किल काम थोड़े ही है ! उसने, कुर्ते का दूसरा बटन देखकर, नया बना दिया। और राजा के कुर्ते में फिट कर दिया।।*      _*राजा ने खुस होकर सोनार से पूछा, कि कितने पैसे दूं ?*       _*सोनार ने कहा :- "महाराज रहने दो, छोटा सा काम था।"*      _*उसने, मन में सोचा, कि सोना राजा का था, उसने तो सिर्फ मंजूरी की है। और राजा से क्या मंजूरी लेनी...!*      _*राजा ने फिर से सोनार को कहा कि, नहीं-नहीं, बोलो कितने दूं ?*       _*सोनार ने सोचा, की दो रूपये मांग लेता हूँ। फिर मन में विचार आया, कि कहीं राजा यह न सोचले की, एक बटन बनाने का मेरे से दो रुपये ले र

“सर्वं भूत हितं प्रोक्तं इति सत्यम”

🛕 *विचार-प्रवाह* 🛕 सत्य हर बार शुभ और मंगलकारी नहीं होता है और झूठ भी हर बार अशुभ और अमंगलकारी नहीं होता है। झूठ और सत्य का निर्धारण कभी भी इस बात से नहीं होता कि आपने क्या कहा, अपितु इस बात से होता है कि आपने क्यों कहा ?      महाभारत में युधिष्ठिर को समझाते हुए भगवान श्रीकृष्ण यही कहते हैं कि हे युधिष्ठिर ! जिस सत्य को बोलने और जिस सत्य पर चलकर अधर्म को, अनीति को और अमंगल को प्रश्रय (प्रोत्साहन) मिलता हो, वह सत्य भी किसी काम का नहीं।       “सर्वं भूत हितं प्रोक्तं इति सत्यम” सभी प्राणियों का जिसमे हित हो, ऐसा वचन बोलना ही सत्य है। जिससे लोक कल्याण हो, वही सत्कर्म है। !!!....कर्मों पर विश्वास रखो,और ईश्वर पर आस्था..... कितना भी मुश्किल वक्त हो, निकलेगा जरूर कोई रास्ता..!!!   🌲 *जय श्री कृष्णा* 🌲

सबसे बड़ा पाठ

एक सेठ नदी पर आत्महत्या करने जा रहा था। संयोग से एक लंगोटीधारी संत भी वहाँ थे। संत ने उसे रोक कर, कारण पूछा, तो सेठ ने बताया कि उसे व्यापार में बड़ी हानि हो गई है। संत ने मुस्कुराते हुए कहा- बस इतनी सी बात है? चलो मेरे साथ, मैं अपने तपोबल से लक्ष्मी जी को तुम्हारे सामने बुला दूंगा। फिर उनसे जो चाहे माँग लेना। सेठ उनके साथ चल पड़ा। कुटिया में पहुँच कर, संत ने लक्ष्मी जी को साक्षात प्रकट कर दिया। वे इतनी सुंदर, इतनी सुंदर थीं कि सेठ अवाक रह गया और धन माँगना भूल गया। देखते देखते सेठ की दृष्टि उनके चरणों पर पड़ी। उनके चरण मैल से सने थे। सेठ ने हैरानी से पूछा- माँ! आपके चरणों में यह मैल कैसी? माँ- पुत्र! जो लोग भगवान को नहीं चाहते, मुझे ही चाहते हैं, वे पापी मेरे चरणों में अपना पाप से भरा माथा रगड़ते हैं। उनके माथे की मैल मेरे चरणों पर चढ़ जाती है। ऐसा कहकर लक्ष्मी जी अंतर्ध्यान हो गईं। अब सेठ धन न माँगने की अपनी भूल पर पछताया, और संत चरणों में गिर कर, एकबार फिर उन्हें बुलाने का आग्रह करने लगा। संत ने लक्ष्मी जी को पुनः बुला दिया। इस बार लक्ष्मी जी के चरण तो चमक रहे थे, पर माथे पर धूल लगी थ

तीन सवाल

*👇👇 आज का प्रेरक प्रसंग 👇👇*                       *!! तीन सवाल !!* ~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~ एक ब्राह्मण था, वह घरों पर जाकर पूजा पाठ कर अपना जीवन यापन किया करता था। एक बार उस ब्राह्मण को नगर के राजा के महल से पूजा के लिये बुलावा आया। वह ब्राह्मण राजमहल का बुलावा पाकर खुशी-खुशी पूजा करने गया। पूजा सम्पन्न कराकर जब ब्राह्मण घर को आने लगा, तब राजा ने ब्राह्मण से एक सवाल किया, "हे ब्राह्मण देव ! आप भगवान की पूजा करते हैं तो यह बताये की भगवान कहाँ रहते हैं ? उनकी नजर किस ओर है और भगवान क्या कर सकते हैं ?"            राजा के प्रश्न सुन ब्राह्मण अचंभित हो गया और कुछ समय विचार करने के बाद राजा से कहा, "हे राजन ! इस सवाल के जवाब के लिए मुझे समय दीजिए।" राजा ने ब्राह्मण को एक माह का समय दिया। ब्राह्मण प्रतिदिन इसी सोच में उलझा रहता कि इसका जवाब क्या होगा। ऐसा करते-करते समय बीतता गया और कुछ ही दिन शेष रह गये। समय बीतने के साथ ब्राह्मण की चिंता भी बढ़ने लगी और जवाब नहीं मिलने के कारण ब्राह्मण उदास रहने लगा। एक दिन ब्राह्मण को चिंतित देख ब्राह्मण के पुत्र ने कहा, पिता जी

मन भूत है

एक आदमी ने एक भूत पकड़ लिया और उसे बेचने शहर गया , संयोगवश उसकी मुलाकात एक सेठ से हुई,*   *सेठ ने उससे पूछा - भाई यह क्या है,*  *उसने जवाब दिया कि यह एक भूत है। इसमें अपार बल है कितना भी कठिन कार्य क्यों न हो यह एक पल में निपटा देता है। यह कई वर्षों का काम मिनटों में कर सकता है ,*  *सेठ भूत की प्रशंसा सुन कर ललचा गया और उसकी कीमत पूछी......., उस आदमी ने कहा कीमत बस पाँच सौ रुपए है ,* *कीमत सुन कर सेठ ने हैरानी से पूछा- बस पाँच सौ रुपए.............!!!!* *उस आदमी ने कहा - सेठ जी जहाँ इसके असंख्य गुण हैं वहाँ एक दोष भी है।अगर इसे काम न मिले तो मालिक को खाने दौड़ता है।* *सेठ ने विचार किया कि मेरे तो सैकड़ों व्यवसाय हैं, विलायत तक कारोबार है यह भूत मर जायेगा पर काम खत्म न होगा ,*  *यह सोच कर उसने भूत खरीद लिया*  *मगर भूत तो भूत ही था ,  उसने अपना मुंह फैलाया और बोला - बोला काम  काम  काम  काम.......!!* *सेठ भी तैयार ही था,  उसने बहुत को तुरन्त दस काम बता दिये ,*  *पर भूत उसकी सोच से कहीं अधिक तेज था इधर मुँह से काम निकलता उधर पूरा होता , अब सेठ घबरा गया ,*  *संयोग से एक सन्त वहाँ आये,* *सेठ