मन भूत है

एक आदमी ने एक भूत पकड़ लिया और उसे बेचने शहर गया , संयोगवश उसकी मुलाकात एक सेठ से हुई,*  

*सेठ ने उससे पूछा - भाई यह क्या है,* 
*उसने जवाब दिया कि यह एक भूत है। इसमें अपार बल है कितना भी कठिन कार्य क्यों न हो यह एक पल में निपटा देता है। यह कई वर्षों का काम मिनटों में कर सकता है ,* 

*सेठ भूत की प्रशंसा सुन कर ललचा गया और उसकी कीमत पूछी......., उस आदमी ने कहा कीमत बस पाँच सौ रुपए है ,*

*कीमत सुन कर सेठ ने हैरानी से पूछा- बस पाँच सौ रुपए.............!!!!*

*उस आदमी ने कहा - सेठ जी जहाँ इसके असंख्य गुण हैं वहाँ एक दोष भी है।अगर इसे काम न मिले तो मालिक को खाने दौड़ता है।*

*सेठ ने विचार किया कि मेरे तो सैकड़ों व्यवसाय हैं, विलायत तक कारोबार है यह भूत मर जायेगा पर काम खत्म न होगा ,* 

*यह सोच कर उसने भूत खरीद लिया* 
*मगर भूत तो भूत ही था ,  उसने अपना मुंह फैलाया और बोला - बोला काम  काम  काम  काम.......!!*

*सेठ भी तैयार ही था,  उसने बहुत को तुरन्त दस काम बता दिये ,* 
*पर भूत उसकी सोच से कहीं अधिक तेज था इधर मुँह से काम निकलता उधर पूरा होता , अब सेठ घबरा गया ,* 
*संयोग से एक सन्त वहाँ आये,*
*सेठ ने विनयपूर्वक उन्हें भूत की पूरी कहानी बतायी।* 
*सन्त ने हँस कर कहा अब जरा भी चिन्ता मत करो एक काम करो उस भूत से कहो कि एक लम्बा बाँस ला कर आपके आँगन में गाड़ दे बस जब काम हो तो काम करवा लो और कोई काम न हो तो उसे कहें कि वह बाँस पर चढ़ा और उतरा करे तब आपके काम भी हो जायेंगे और आपको कोई परेशानी भी न रहेगी सेठ ने ऐसा ही किया और सुख से रहने लगा.....*

*यह मन ही वह भूत है। यह सदा कुछ न कुछ करता रहता है एक पल भी खाली बिठाना चाहो तो खाने को दौड़ता है।* 
*श्वास ही बाँस है।* 
*श्वास पर भजन- सिमरन का अभ्यास ही बाँस पर चढ़ना उतरना है।* 
*आप भी ऐसा ही करें। जब आवश्यकता हो मन से काम ले लें जब काम न रहे तो श्वास में नाम जपने लगो तब आप भी सुख से रहने लगेंगे*

*सदैव प्रसन्न रहिये*

*जो प्राप्त है प्रयाप्त है* 

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