आत्मज्ञान

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*🌻राजा से मिला आत्मज्ञान*🌻 

एक युवक ने एक दिन एक पहुंचे हुए संन्यासी से कहा, 'मेरा मन इस संसार में नहीं लगता। 
मैं यह दुनिया छोड़ना चाहता हूं। 
क्या करूं।' 
संन्यासी ने युवक से कहा, 'ऐसा करो, 
तुम कुछ दिनों के लिए राजा के पास चले जाओ और उनके साथ राजमहल में ही रहो। 
वहां तुम्हें अवश्य एक दिन आत्मज्ञान मिल जाएगा।' युवक समझ नहीं सका कि राजा के पास भला आत्मज्ञान कैसे मिल सकता है।

उसे ऊहापोह में पड़ा देख 
संन्यासी ने कहा, 'जाओ, तो सही, 
तुम्हारे पहुंचने से पहले ही 
वहां तुम्हारे बारे में सूचना पहुंच जाएगी।' 
युवक राजमहल जा पहुंचा। 
चारों तरफ सुख-समृद्धि नजर आने के बावजूद 
उसका मन वहां नहीं लगा। 
लेकिन वह मन ममोसकर वहां रुका रहा। 
एक दिन राजा उसे नदी में स्नान कराने ले गया। युवक ने अपना कुर्ता खोला और तट पर रख दिया। उसी समय राजमहल के पास से शोर मचा, 'आग लग गई, आग लग गई।' कुछ ही क्षणों में आग की लपटें आकाश छूने लगीं।

युवक ने दौड़कर अपना कुर्ता उठा लिया, लेकिन राजा निश्चल खड़ा रहा। उसके चेहरे पर कोई भाव नहीं था, जैसे कुछ हुआ ही न हो। 
युवक ने पूछा, 'आपके महल में आग लगी है, फिर भी आप ऐसे खड़े हैं। इसका क्या रहस्य है।' 
इस पर राजा ने जवाब दिया, 'महल को मैंने कभी अपना नहीं समझा। मैं नहीं था तब भी महल था और मैं रहूंगा तब भी महल रहेगा। 
लेकिन तुम तो एक कुर्ते के लिए ही दौड़ गए। 
इसका मतलब यह है कि तुम्हें कुर्ते से कितना मोह है। तुममें जब इतना अधिक मोह है तो दुनिया छोड़ने की बात कैसे कह रहे हो।'

युवक राजा के चरणों में गिर पड़ा और बोला, 'मैं समझ गया कि क्यों संन्यासी ने मुझे आपके पास भेजा। आप समृद्धि के बीच रहकर भी ममत्व से परे हैं, और मैं सब कुछ छोड़ने का दावा करते हुए भी मोह से नहीं उठ पाया हूं।'"
     *🙏🏿🙏🏾🙏🏻 जय जय श्री राधे*🙏🏽🙏🏼🙏

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