मैं अकेला ही काफी हूं-- ओशो
अगर तुमने
इस बात का निर्णय कर लिया है
कि तुम सत्य के साथ हो
तो इस दुनिया में
सबसे बड़ी ताकत
तुम्हारे साथ है।
तुम अकेले नहीं हो।
इस दुनिया का आधार
तुम्हारे साथ है,
अस्तित्व तुम्हारे साथ है।
मुझे
न तो बुद्धिजीवियों की चिंता है, और
न धर्मगुरुओं की चिंता है।
मुझे चिंता है
तो सिर्फ एक बात की
कि कभी भूलकर भी
मैं अपनी आत्मा को न बेचूं।
कभी भूलकर भी
मैं सत्य को भी न बेचूं।
मौत को स्वीकार कर लूं
लेकिन
सत्य से मेरा साथ न छूटे।
मैं चाहता हूं कि
तुम सब आशीर्वाद दो मुझे।
मौत वरणीय है
लेकिन सत्य छोड़ा नहीं जा सकता।
मैं अकेला काफी हूं।
तुम्हारा आशीर्वाद पर्याप्त है।
मैं अकेला ही काफी हूं इस दुनिया में।
सबसे बड़ा दुख
आदमी को तब होता है
जब उसके झूठ
उससे छीने जाते हैं–
जिनको वह सत्य समझता था
और जिनके सहारे
वह सोचता था
कि उसके पास सबकुछ है।
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