*मनुष्य जन्म से विक्षिप्त है*

एक गांव में ऐसा हुआ था, एक जादूगर आया और उसने गांव के कुएं में कोई मंत्र फेंका और कहा कि इस कुएं का पानी जो कोई भी पीएगा वह पागल हो जाएगा। उस गांव में दो ही कुएं थे। एक गांव का कुआं था और एक सम्राट का कुआं था। सारे गांव को, उस कुएं का पानी पीना पड़ा। मजबूरी थी, कोई रास्ता न था। प्यास लगे और अगर पागल भी होना पड़े तो भी पानी तो पीना ही पड़ेगा।
सांझ होते-होते सारा गांव पागल हो गया। सिर्फ सम्राट बच गया, उसका वजीर बच गया, उसकी रानी बच गई। सम्राट बहुत प्रसन्न था कि सौभाग्य है हमारा कि हमारे घर में अलग कुआं है। लेकिन सांझ होते-होते उसे पता चला कि सौभाग्य नहीं, यह दुर्भाग्य है। क्योंकि जब सारा गांव पागल हो गया, तो गांव में जगह-जगह यह चर्चा होने लगी कि मालूम होता है राजा पागल हो गया। और शाम होते-होते सारे गांव के लोग महल के सामने इकट्ठे हो गए और उन्होंने कहा, पागल राजा को अलग करना जरूरी है। क्योंकि पागल राजा से कैसे देश चलेगा।
राजा अपनी छत पर खड़ा घबड़ाने लगा। उसके सैनिक भी पागल हो गए थे, उसके पहरेदार भी पागल हो गए थे, उसके रक्षक भी पागल हो गए थे। और वे सभी पागल यह कह रहे थे कि सम्राट पागल हो गया है। हमें कोई स्वस्थ आदमी चुनना पड़ेगा। सम्राट ने अपने वजीर को कहा: कोई रास्ता है बचने का? कोई मार्ग है? उस वजीर ने कहा: हम पीछे के रास्ते से भाग चलें और उस कुएं का पानी पी लें जिस कुएं का पानी इन सबने पीया है। इसके अतिरिक्त कोई रास्ता नहीं है।
सम्राट भागा गया और उसने उस कुएं का पानी पी लिया। फिर उस रात उस गांव में बड़ा जलसा मनाया गया और बड़ा उत्सव हुआ। लोग नाचे और उन्होंने गीत गाए और भगवान को धन्यवाद दिया कि सम्राट का मस्तिष्क ठीक हो गया।
मनुष्य-जाति जन्म से ही कुछ विकृत है। आदमी का अस्वास्थ्य जैसे उसके साथ है। स्वस्थ होना एक घटना है। अस्वस्थ होना जैसे स्वाभाविक है। मस्तिष्क के लिए, मनुष्य की चेतना के लिए अगर यह भी पता न हो कि मैं कौन हूं, तो यह विक्षिप्तता का ही लक्षण होगा। आत्म-बोध मनुष्य के स्वास्थ्य की, आत्म-बोध मनुष्य के चेतना के स्वस्थ होने का पहला लक्षण है। और आत्म-अबोध मनुष्य के विक्षिप्त होने का लक्षण है।
आदमियत की  
बुनियाद ही अस्वस्थ है। 
आदमी जन्म से ही विक्षिप्त है। 
क्योंकि जिसे यह भी पता न हो 
कि मैं कौन हूं, 
उसे और कुछ भी पता नहीं हो सकता है। 
लेकिन जैसा मैंने कहा, अगर सभी लोग एक ही बीमारी से घिर जाएं, तो पता चलना कठिन है कि कोई बीमार है। 

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