चार मित्र



किसी गाँव में चार मित्र रहते थे। चारों में इतनी घनी मित्रता थी कि हर समय साथ रहते उठते बैठते, योजनाएँ बनाते। एक ब्राह्मण एक ठाकुर एक बनिया और एक नाई था पर कभी भी चारों में जाति का भाव नहीं था। गजब की एकता थी। इसी एकता के चलते वे गाँव के किसानों के खेत से गन्ने चने आलू आदि चीजें उखाड़ कर खाते थे।
एक दिन इन चारों ने किसी किसान के खेत से चने के झाड़ उखाड़े और खेत में ही बैठकर हरी हरी फलियों का स्वाद लेने लगे।
खेत का मालिक किसान आया, चारों की दावत देखी, उसे बहुत क्रोध आया। उसका मन किया कि लट्ठ उठाकर चारों को पीटे, पर चार के आगे एक, वो स्वयं पिट जाता। सो उसने एक युक्ति सोची।
चारों के पास गया, ब्राह्मण के पाँव छुए, ठाकुर साहब की जयकार की बनिया महाजन से राम जुहार और फिर नाई से बोला--देख भाई ब्राह्मण देवता धरती के देव हैं, ठाकुर साहब तो सबके मालिक हैं अन्नदाता हैं, महाजन सबको उधारी दिया करते हैं ये तीनों तो श्रेष्ठ हैं तो भाई इन तीनों ने चने उखाड़े सो उखाड़े पर तू? तू तो ठहरा नाई तूने चने क्यों उखाड़े? इतना कहकर उसने नाई के दो तीन लट्ठ रसीद किये। बाकी तीनों ने कोई विरोध नहीं किया क्योंकि उनकी तो प्रशंसा हो चुकी थी।
अब किसान बनिया के पास आया और बोला-अबे तू साहूकार होगा तो अपने घर का पण्डित जी और ठाकुर साहब तो नहीं है ना! तूने चने क्यों उखाड़े? बनिये के भी दो तीन तगड़े तगड़े लट्ठ जमाए। पण्डित और ठाकुर ने कुछ नहीं कहा।
अब किसान ने ठाकुर से कहा--ठाकुर साहब माना आप अन्नदाता हो पर किसी का अन्न छीनना तो गलत बात है अरे पण्डित महराज की बात दीगर है उनके हिस्से जो भी चला जाये दान पुन्य हो जाता है पर आपने तो बटमारी की! ठाकुर साहब को भी लट्ठ का प्रसाद दिया, पण्डित जी बोले नहीं, नाई और बनिया अभी तक अपनी चोट सहला रहे थे।
जब ये तीनों पिट चुके तब किसान पण्डितजी के पास गया और बोला--माना आप भूदेव हैं पर इन तीनों के गुरु घण्टाल आप ही हैं आपको छोड़ दूँ ये तो अन्याय होगा तो दो लट्ठ आपके भी पड़ने चाहिए। मार खा चुके बाकी तीनों बोले हाँ हाँ,पण्डित जी को भी दण्ड मिलना चाहिए। अब क्या पण्डित जी भी पीटे गए।
किसान ने इस तरह चारों को अलग अलग करके पीटा किसी ने भी किसी के पक्ष में कुछ नहीं कहा, उसके बाद से चारों कभी भी एक साथ नहीं देखे गये।
मित्रों पिछली दो तीन सदियों से हिंदुओं के साथ यही होता आया है, कहानी सच्ची लगी हो तो समझने का प्रयास करो और अगर कहानी केवल कहानी लगी हो तो आने वाले समय के लट्ठ तैयार हैं।

Comments

Popular posts from this blog

नाम सुमर मन बावरे

तीन सवाल

असली सवाल ओशो